कुल्लू (फ्रंटपेज न्यूज़)
नेशनल हाईवे मनाली से मंडी नगवाई से लेकर थलौट टनल पर आज का दिन किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था। लगातार छह घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जाम में फंसे लोग तड़पते रहे, लेकिन जिम्मेदार अफसर और पुलिस सिर्फ तमाशा देखती रही। शाम से लेकर रात 10:30 बजे तक हाईवे पर गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। महिलाएं, बुजुर्ग, छोटे-छोटे बच्चे – सभी फंसे रहे, मगर किसी ने सुध नहीं ली।

तीन-तीन पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ियां हाईवे पर घूमती रहीं, लेकिन सिवाय दिखावे के कुछ नहीं किया गया। ट्रैफिक संभालने की बजाय पुलिस खुद भी गाड़ियों के साथ रेंगती नजर आई। हर तरफ सिर्फ हॉर्न, धुआं और खीझ दिख रही थी, लेकिन प्रशासन शायद कहीं चैन की नींद सो रहा था।
हाईवे से सटे होटल मालिकों की तो लॉटरी लग गई। जाम में फंसे पर्यटकों को मजबूरी में होटल का सहारा लेना पड़ा और होटल वालों ने इसका पूरा फायदा उठाया। होटल के बाहर दोनों ओर गाड़ियां बेतरतीब खड़ी रहीं, और होटल संचालकों ने अपनी मनमर्जी की दरों पर कमरों की बुकिंग शुरू कर दी। जनता भले ही पसीना-पसीना हो रही हो, लेकिन होटल वाले चांदी काट रहे थे।

सबसे शर्मनाक बात ये रही कि सड़क भले ही सिंगल थी, लेकिन गाड़ियां दोनों ओर से घुस रही थीं। नियमों की धज्जियां उड़ाना जैसे फैशन बन गया हो। कोई पूछने वाला नहीं, न कोई रोकने वाला। ड्राइवर, टैक्सी ऑपरेटर और सामान ढोने वाले बेरोक-टोक मनमानी करते दिखे। लगता ही नहीं था कि ये राज्य एक पर्यटक स्थल है या कोई अराजक मेला।
बारिश की आपदा और भूस्खलन के बाद आज का दिन मौसम के लिहाज से ठीक-ठाक रहा, मगर नेशनल हाईवे की ये स्थिति पूरे सिस्टम की पोल खोल गई। जब मौसम ठीक हो तो व्यवस्था दम तोड़ दे, और जब आपदा आए तो कल्पना कीजिए क्या हाल होगा! ये सिर्फ ट्रैफिक की बात नहीं है, ये प्रशासन की विफलता की सच्ची तस्वीर है।
आज की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नेताओं के भाषण, अफसरों की मीटिंग और पुलिस की गश्त – सब कागजी खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं हैं। जनता की तकलीफ किसी की प्राथमिकता नहीं है। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, कोई जागेगा नहीं।




























