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शिमला। हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां सरकार द्वारा समर्थित बायोचार कार्यक्रम आरंभ किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत हमीरपुर जिले के नेरी में अगले छह महीनों के भीतर एक आधुनिक बायोचार संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके लिए आज ओक ओवर, शिमला में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की उपस्थिति में डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, हिमाचल प्रदेश वन विभाग और प्रोक्लाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल जंगल की आग पर काबू पाने में मददगार होगी बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और आजीविका के नए अवसर भी पैदा करेगी।
कैसे होगा बायोचार उत्पादन?
परियोजना के तहत चीड़ की पत्तियां, लैंटाना, बांस और अन्य वन आधारित बायोमास का उपयोग किया जाएगा। इनसे पायरोलिसिस तकनीक द्वारा बायोचार तैयार किया जाएगा। यह बायोचार कृषि, धातु विज्ञान और अन्य उद्योगों में प्रयोग होगा।
किसे मिलेगा लाभ?
- कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, चंबा, बिलासपुर और सोलन जिलों के लोग इस योजना से लाभान्वित होंगे।
- बायोमास एकत्र करने वालों को 2.50 रुपये प्रति किलो की दर से भुगतान किया जाएगा।
- गुणवत्ता और मात्रा के आधार पर अतिरिक्त प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे।
- अनुमान है कि इस कार्यक्रम से हर साल लगभग 50,000 श्रम दिवस आय उत्पन्न होगी।
कार्बन क्रेडिट और निवेश
यह कार्यक्रम 10 साल तक चलेगा। इस दौरान करीब 28,800 कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिससे राज्य की हरित पहल को गति मिलेगी।
प्रोक्लाइम सर्विसेज इस परियोजना में चरणबद्ध तरीके से 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक का निवेश करेगी।
विश्वविद्यालय और वन विभाग की भूमिका
- विश्वविद्यालय नेरी में संयंत्र और भंडारण के लिए 3 एकड़ भूमि उपलब्ध करवाएगा और बायोचार के कृषि अनुप्रयोगों पर अनुसंधान करेगा।
- वन विभाग स्थानीय समुदायों की भागीदारी से बायोमास संग्रहण, निगरानी और पर्यावरण नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री का संदेश
सीएम सुक्खू ने कहा कि इस तरह की योजनाएं हिमाचल को जलवायु परिवर्तन से निपटने, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में अग्रणी बनाएंगी।
इस अवसर पर विधायक सुरेश कुमार, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेन्द्र चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, प्रधान मुख्य अरण्यपाल संजय सूद, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश्वर ठाकुर और कंपनी के प्रतिनिधि मौजूद रहे।




























