(फ्रंटपेज न्यूज) डेस्क
देश में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए “टू-स्लैब मॉडल” को जीएसटी काउंसिल की तरफ से गठित मंत्रियों के समूह (GoM) ने हरी झंडी दे दी है। यह प्रस्ताव बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व वाले समूह के समक्ष पेश किया गया था, जिसे मंजूरी देकर अब काउंसिल के पास भेजा गया है।

क्या होगा नया टैक्स स्ट्रक्चर?
वर्तमान में जीएसटी चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) में लागू है। लेकिन केंद्र ने इसे सरल बनाने के लिए 12% और 28% वाले स्लैब को खत्म कर दिया है।
नया प्रस्ताव: केवल 5% और 18% स्लैब रहेंगे।
लग्ज़री और हानिकारक वस्तुएं (पान-मसाला, गुटखा आदि) पर अलग से 40% टैक्स स्लैब लागू किया जाएगा।
किन वस्तुओं पर असर?
12% स्लैब की 99% वस्तुएं 5% टैक्स में शिफ्ट होंगी।
28% स्लैब की 90% वस्तुएं 18% टैक्स में जाएंगी।
यानी सैकड़ों वस्तुओं पर जीएसटी दरें बदल जाएंगी।
राज्यों की चिंता
कुछ राज्यों का कहना है कि इस बदलाव से उनके राजस्व पर असर पड़ सकता है।
कई राज्यों ने मांग की है कि उन्हें 40% स्लैब वाली वस्तुओं पर सेस लगाने की अनुमति मिले।
दरअसल, मार्च 2026 के बाद क्षतिपूर्ति सेस खत्म हो जाएगा, जिससे राज्यों की आय पर असर पड़ेगा।
राजनीति और जनता का समीकरण
जानकारों का मानना है कि केंद्र के इस प्रस्ताव का राज्यों द्वारा कड़ा विरोध संभव नहीं है। कारण—विरोध करने पर सरकार की छवि “जनता विरोधी” बनने का खतरा रहेगा। यही वजह है कि इस प्रस्ताव पर बहस लंबी खिंच सकती है, लेकिन इसे खारिज करना मुश्किल दिख रहा है।
आगे क्या?
जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक अगले महीने हो सकती है।
वहीं से यह तय होगा कि नया टू-स्लैब जीएसटी मॉडल कब से लागू होगा।
यह कदम टैक्स प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक सुधार साबित हो सकता है। हालांकि राज्यों के राजस्व पर संभावित असर और सेस की राजनीति, इस फैसले की असली परीक्षा होगी।































