फ्रंटपेज न्यूज़
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून की विदाई का समय आ गया है, लेकिन जाते-जाते भी यह लोगों के लिए आफ़त बन गया। मौसम विभाग ने ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर और कांगड़ा जिलों में अगले 12 घंटे तक भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने जलभराव और बाढ़ की आशंका को देखते हुए लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। वहीं अन्य जिलों में रात के समय हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है।
कल से कमजोर पड़ेगा मानसून
मौसम विभाग के अनुसार कल से प्रदेश में मानसून कमजोर पड़ना शुरू होगा और 23 सितंबर तक किसी भी जिले में बारिश का अलर्ट नहीं रहेगा। हालांकि, मंडी के धर्मपुर क्षेत्र में मंगलवार को हुई भीषण वर्षा ने हालात बिगाड़ दिए। भारी नुकसान को देखते हुए बुधवार को सब-डिवीजन के सभी शिक्षण संस्थान बंद रहे। कुल्लू जिले के मनाली और बंजार में भी एहतियातन स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी घोषित कर दी गई।
धर्मपुर में लापता लोगों की तलाश
धर्मपुर में मंगलवार रात तेज बारिश और मलबा गिरने से तबाही का मंजर सामने आया। पांच से छह प्रवासी श्रमिक बह जाने की आशंका है। ये लोग देर रात बस स्टैंड के पास दिखे थे, लेकिन उसके बाद कोई पता नहीं चला। पुलिस और राहत दल लगातार खोजबीन में जुटे हुए हैं। इस हादसे में एक ट्रैवलर वाहन चालक और एक मेडिकल स्टोर संचालक भी लापता बताए जा रहे हैं।
सामान्य से डेढ़ गुना बारिश
1 जून से 16 सितंबर तक हिमाचल में सामान्य से 46% अधिक वर्षा दर्ज की गई। जहां औसतन इस अवधि में 692.1 मिमी बारिश होती है, वहीं इस बार आंकड़ा 1,010.9 मिमी तक पहुंच गया। शिमला में सामान्य से 109% और कुल्लू में 108% ज्यादा बारिश हुई। यही कारण है कि प्रदेश में भूस्खलन और अन्य आपदाओं का खतरा कई गुना बढ़ गया।
करोड़ों की संपत्ति का नुकसान, सैकड़ों की जान गई
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 20 जून से 17 सितंबर तक प्रदेश में लगभग ₹4,595 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ है। इस दौरान 419 लोगों की मौत हुई, 479 लोग घायल हुए और 45 लोग अब भी लापता हैं। सड़क हादसों में 182 लोगों ने जान गंवाई।
हजारों मकान और गोशालाएं प्रभावित
इस आपदा में 587 पक्के और 934 कच्चे मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए। 2,150 पक्के और 4,639 कच्चे मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा। 583 दुकानें और 6,515 गोशालाएं प्रभावित हुईं। वहीं 2,410 मवेशियों की मौत से किसानों को गहरी चोट पहुंची है।
राहत और पुनर्वास की चुनौती
अब जबकि मानसून धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है, सरकार और स्थानीय प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती राहत और पुनर्वास की है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी जिलों से ताज़ा नुकसान का ब्योरा मांगा है ताकि राहत और मरम्मत कार्य तेज़ी से शुरू किए जा सकें।
इस बार का मानसून जहां उम्मीद से ज्यादा बरसा, वहीं उसने हिमाचल के घर-आंगन, सड़कें, खेत-खलिहान सब कुछ तबाह कर दिया। अब आने वाले दिनों में सबसे अहम सवाल यही है कि सरकार और प्रशासन कितनी जल्दी इन जख्मों को भर पाते हैं।




























