बंजार/कुल्लू। (फ्रंटपेज न्यूज़)
हिमाचल प्रदेश का सुंदर लेकिन संकटग्रस्त इलाका बंजार पिछले कई हफ्तों से कुदरत के कोप का शिकार है। बादल फटना, भूस्खलन, सड़कें धंसना और बिजली-पानी का ठप होना – इन सबने यहां की जिंदगी को ठहराकर रख दिया। हालत यह रही कि बंजार मुख्यालय में खाद्यान्न तक वायुसेना के हेलीकॉप्टर से गिराना पड़ा। यह दृश्य किसी पिछड़े इलाके का नहीं बल्कि उस बंजार का था जिसे लोग पर्यटन और संस्कृति का धड़कता दिल कहते हैं। सवाल उठता है कि क्या जिला और उपमंडल स्तर पर आपदा प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं थी?
प्रशासन की सुस्ती और जनता का गुस्सा
जनता बार-बार कहती रही – “कोई संपर्क नहीं, कोई बिजली नहीं, कोई पानी नहीं, कोई सड़क नहीं… यही रही इस बरसात की कहानी।” दुख की बात यह है कि इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी जिला का कोई बड़ा अधिकारी सीधे बंजार नहीं आया। जनता ने अपने हाल पर खुद आंसू बहाए, जबकि प्रशासन के जिम्मेदार चेहरों ने दूरी बनाए रखी।
बिजली बोर्ड, आईपीएच विभाग और एनएच प्राधिकरण – सभी पर सवाल उठे। आखिर क्यों समय रहते वैकल्पिक व्यवस्थाएं नहीं बनाई गईं? क्यों बंजार की जनता को इतना कठिन दौर झेलना पड़ा?
केंद्र सरकार की सक्रियता से जागी उम्मीद
फिर भी इस अंधकार के बीच एक उम्मीद की किरण है। कल यानी 09 सितम्बर 2025 को आपदा प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने के लिए अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) बंजार और सैंज घाटी पहुंच रही है। यह टीम केवल कागज़ी काम नहीं करेगी बल्कि जमीन पर जाकर देखेगी कि नुकसान कितना बड़ा है और जनता किन परिस्थितियों से गुजर रही है।
यह रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को जाएगी और उम्मीद है कि इसी आधार पर हिमाचल के लिए बड़ा राहत पैकेज तैयार होगा।
पीएम मोदी का दौरा – जनता के बीच उम्मीद की सबसे बड़ी वजह
प्रदेश की सबसे बड़ी सकारात्मक खबर यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं हिमाचल प्रदेश आ रहे हैं।
वे मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और चंबा का हवाई सर्वेक्षण करेंगे।
धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक करेंगे।
हिमाचल की जनता को भरोसा है कि मोदी का दौरा केवल सांत्वना नहीं बल्कि समाधान लेकर आएगा। लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पीएम हिमाचल के लिए विशेष आपदा राहत पैकेज की घोषणा करेंगे, ताकि टूटे घर, बर्बाद सड़कें और ठप हुई योजनाएं फिर से खड़ी हो सकें।
जख्म गहरे हैं, लेकिन हौसला बुलंद
हिमाचल में आपदा का पैमाना बेहद बड़ा है –
161 लोगों की जान गई।
154 सड़क हादसों में मौत हुई।
3,254 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए।
360 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं।
इन आंकड़ों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि स्थिति कितनी भयावह रही। लेकिन इसके बावजूद यहां के लोग टूटे नहीं। हर गांव, हर मोहल्ले में लोग एक-दूसरे के साथ खड़े रहे। हिमाचली समाज की यही जीवटता सबसे बड़ी ताकत है।
पंजाब भी संकट में, केंद्र का फोकस दोनों राज्यों पर
सिर्फ हिमाचल ही नहीं, पड़ोसी राज्य पंजाब भी भारी बारिश और फ्लैश फ्लड से कराह रहा है। प्रधानमंत्री का दौरा यह दिखाता है कि केंद्र सरकार दोनों राज्यों को इस त्रासदी से उबारने के लिए गंभीर है।
–अब सवाल और उम्मीद दोनों
आज बंजार की जनता दो बातों पर अड़ी है –
1. सवाल: क्यों समय रहते आपदा प्रबंधन की पुख्ता तैयारी नहीं की गई? क्यों एक पूरी घाटी को बिजली, पानी और सड़क से महरूम होना पड़ा? क्यों जिला प्रशासन मौके पर नहीं पहुंचा?
2. उम्मीद: कि अब जब प्रधानमंत्री खुद हिमाचल आ रहे हैं, तो राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण की दिशा में बड़े कदम उठेंगे।




























