(फ्रंटपेज न्यूज़)
नई दिल्ली/अहमदाबाद। आंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए एक नया इतिहास रचा गया है। गुजरात हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में निर्देश दिया है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मासिक वेतन ₹24,800 और आंगनवाड़ी सहायिकाओं को ₹20,300 दिया जाए।
यह फैसला उन लाखों महिलाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो अब तक मामूली मानदेय पर समाज सेवा कर रही थीं। अदालत ने साफ कहा कि आंगनवाड़ी सेवाओं को केवल अस्थायी या स्वयंसेवी काम नहीं समझा जा सकता। यह कार्य राज्य की नियमित सेवाओं के समान ही महत्वपूर्ण है और इन्हें सम्मान व अधिकार मिलना चाहिए।
लंबे संघर्ष का मीठा फल
यह जीत आंगनवाड़ी कर्मचारियों को एक दिन में नहीं मिली। वर्षों से ये महिलाएं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही थीं। धरना-प्रदर्शन, रैलियां, सरकारी दफ्तरों के चक्कर और निरंतर मांगों के बावजूद उन्हें बहुत कम मानदेय ही मिलता था।
उनका कहना था कि वे सिर्फ बच्चों को खाना नहीं बांटतीं, बल्कि गर्भवती महिलाओं की देखभाल, बच्चों के स्वास्थ्य पर निगरानी, पोषण शिक्षा, परिवार नियोजन की जानकारी और कई सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम भी संचालित करती हैं। इतनी बड़ी जिम्मेदारी के बावजूद उन्हें उचित वेतन नहीं दिया जा रहा था।
वेतन और भत्तों में बड़ा सुधार
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि 1 अप्रैल 2025 से बकाया वेतन का भुगतान छह महीने के भीतर किया जाए। यह फैसला महंगाई भत्ते (DA) और न्यूनतम वेतन दोनों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
अब तक जहां ये कर्मचारी जीवन-यापन के लिए संघर्ष कर रही थीं, वहीं यह वेतन उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने में मदद करेगा। बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और भविष्य की योजनाओं में भी यह फैसला वरदान साबित होगा।
सरकार की प्रतिक्रिया और चुनौतियां
इस फैसले के बाद राज्यों की प्रतिक्रिया अलग-अलग रही। कुछ राज्य सरकारों ने इसका स्वागत किया है, जबकि कुछ ने वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए लागू करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है।
हालांकि खर्च बढ़ना तय है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह देश के भविष्य में निवेश है। जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संतुष्ट और प्रेरित होंगी, तो बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की गुणवत्ता स्वतः बेहतर होगी।
महिला सशक्तिकरण की नई दिशा
यह फैसला महिला सशक्तिकरण के लिए मील का पत्थर है। ग्रामीण और निम्न आय वर्ग से आने वाली महिलाएं अब न केवल अपने परिवार का पालन-पोषण बेहतर ढंग से कर पाएंगी बल्कि समाज में सम्मान भी पाएंगी।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उचित वेतन और अधिकार मिलने से वे दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनेंगी कि संघर्ष करके न्याय पाया जा सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
गुजरात हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए। यदि इसे पूरे देश में लागू किया गया, तो आंगनवाड़ी व्यवस्था और मजबूत होगी।
बेहतर वेतन और स्थायी नौकरी से इस क्षेत्र में योग्य लोग जुड़ेंगे, जिससे सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी और अंततः महिलाओं व बच्चों का जीवन बेहतर होगा।




























