गुशैणी (परस राम भारती)
कुल्लू जिला की सुरम्य तीर्थन घाटी के छोटे से गाँव बंदल की बेटी मोरमा भारती ने अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है। हाल ही में उन्होंने मालदीव के हुलहुमले रीजनल स्टेडियम में आयोजित एफआईवीबी (FIVB) कोचिंग कोर्स लेवल-1 को सफलतापूर्वक पास किया है। इस उपलब्धि के साथ ही मोरमा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त वॉलीबॉल कोच बन गई हैं और विश्वभर में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के योग्य हो गई हैं।

इस गौरवपूर्ण क्षण की जानकारी मिलते ही तीर्थन घाटी समेत उनके ससुराल ऊना में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों, खेल प्रेमियों और परिजनों ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाइयों की झड़ी लगा दी है।
प्रेरणादायक रहा मोरमा का सफर – गुशैणी स्कूल से मालदीव तक का सफर
मोरमा भारती की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय उच्च विद्यालय गुशैणी से हुई, जहां पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी उनकी गहरी रुचि रही। उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए कक्षा 9वीं में उनका चयन धर्मशाला स्थित साईं स्पोर्ट्स हॉस्टल में हुआ, जहाँ उन्होंने वॉलीबॉल का विधिवत प्रशिक्षण लेना शुरू किया।

इसके बाद मोरमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे अब तक 24 बार राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न वॉलीबॉल प्रतियोगिताओं — स्कूल नेशनल, जूनियर नेशनल और सीनियर नेशनल — में भाग ले चुकी हैं। कोच के रूप में उन्होंने कई बार हिमाचल की टीम का नेतृत्व किया और अब उसी अनुभव के बल पर उन्होंने एफआईवीबी का लेवल-1 कोर्स भी सफलतापूर्वक पास कर लिया।
मालदीव में हुआ था अंतरराष्ट्रीय कोचिंग कोर्स
एफआईवीबी द्वारा आयोजित यह कोचिंग कोर्स 27 से 31 जुलाई 2025 तक मालदीव के हुलहुमले रीजनल स्टेडियम में हुआ। इस प्रतिष्ठित कोर्स में भारत सहित 45 देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। सेशेल्स के कोच मिशेल सेलेस्टिन ने इस कोर्स का संचालन किया और कोर्स के समापन पर सभी सफल प्रतिभागियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
मोरमा ने मायके और ससुराल – दोनों का नाम किया रोशन
मोरमा भारती का मायका तीर्थन घाटी के बंदल गांव (ग्राम पंचायत शर्ची) में है, जबकि उनकी ससुराल ऊना जिले के तहसील बंगाणा के कोडरा गांव में है। उन्होंने दोनों ही स्थानों का नाम रोशन किया है। सीमित संसाधनों वाले क्षेत्र से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना आज की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है।
वर्तमान में मोरमा भारती ऊना जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कोटला कलां में शारीरिक शिक्षा अध्यापक (PET) के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले उन्होंने तीर्थन घाटी के बठाहड़ स्कूल में भी सेवाएं दी थीं, जहाँ वे बच्चों को खेलों के साथ अनुशासन और जीवन मूल्यों का भी पाठ पढ़ाया करती थीं।
परिवार, शिक्षकों और प्रशिक्षकों को दिया श्रेय
मोरमा भारती ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता — पिता मेहर चन्द और माता विद्या मंणी — के साथ-साथ अपने कोच और सभी प्रशिक्षकों को दिया है। उनका कहना है कि उनके परिवार, मायके और ससुराल दोनों ने ही हमेशा उनके खेल को प्रोत्साहन दिया और कभी कोई रुकावट नहीं बनने दी।
उनकी इस उपलब्धि पर स्कूल प्रिंसिपल और स्टाफ ने भी उन्हें सम्मानित किया है।
घाटी में उत्सव का माहौल, ग्रामीणों ने बांटी मिठाइयाँ
मोरमा की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि की खबर जैसे ही तीर्थन घाटी पहुंची, पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बन गया। बंदल, गुशैणी, बठाहड़ समेत आस-पास के गाँवों में लोगों ने मिठाइयाँ बाँटकर अपनी खुशी व्यक्त की और उन्हें व उनके परिवार को शुभकामनाएं दीं।




























