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प्रदेश सरकार ने 100 जीरो इनरोलमेंट वाले स्कूल बंद किए, 120 स्कूलों का विलय – हर साल 50 हजार कम हो रहे छात्र

On: July 30, 2025 4:50 AM
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शिमला (फ्रंटपेज न्यूज़)

प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा विभाग ने 100 जीरो इनरोलमेंट वाले स्कूलों को बंद कर दिया है, जिनमें 72 प्राथमिक और 28 मिडल स्कूल शामिल हैं। इसके साथ ही 5 या उससे कम छात्रों वाले 120 प्राथमिक स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय (Merge) कर दिया गया है। मंगलवार को विभाग के सचिव की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई।

किन जिलों में कितने स्कूल बंद हुए?

शिक्षा विभाग के अनुसार, बंद किए गए 100 स्कूलों में इस वर्ष किसी भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया था। जिलावार आंकड़े इस प्रकार हैं:

प्राथमिक स्कूल: बिलासपुर (2), चंबा (7), हमीरपुर (1), कांगड़ा (11), किन्नौर (3), कुल्लू (5), लाहौल-स्पीति (4), मंडी (13), शिमला (12), सिरमौर (5), सोलन (7) और ऊना (2)।

मिडल स्कूल: चंबा (1), कांगड़ा (1), किन्नौर (4), कुल्लू (2), लाहौल-स्पीति (2), शिमला (14), सोलन (1) और ऊना (1)।

120 स्कूलों का हुआ विलय

इसके अलावा सरकार ने 5 या उससे कम छात्रों वाले 120 प्राथमिक स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय किया है। इनमें सबसे अधिक स्कूल कांगड़ा (52) और मंडी (25) में मर्ज किए गए हैं। अन्य जिलों के आंकड़े – बिलासपुर (15), हमीरपुर (4), कुल्लू (1), शिमला (9), सिरमौर (5), सोलन (6) और ऊना (3) हैं।

घटती इनरोलमेंट – बड़ा संकट

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह कदम संसाधनों की बर्बादी को रोकने और छात्रों को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए उठाया गया है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, हर साल 50 हजार छात्र सरकारी स्कूलों से कम हो रहे हैं।

वर्ष 2003-04 में कक्षा पहली से 8वीं तक सरकारी स्कूलों में 9,71,303 छात्र पंजीकृत थे।

मौजूदा शैक्षणिक सत्र में कक्षा पहली से 12वीं तक केवल 7.5 लाख छात्र हैं।

पहली से 8वीं तक इस साल सिर्फ 4,29,070 छात्र ही पढ़ रहे हैं।

शिक्षकों को दिया स्पष्ट संदेश

हाल ही में निदेशालय में सभी शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में शिक्षकों को इनरोलमेंट बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए गए। विभाग ने साफ कहा कि “जब स्कूलों में छात्र होंगे तभी स्कूल चलेंगे, अन्यथा उन्हें बंद करना पड़ेगा।”

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