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हिमाचल की माली हालत पर बड़ी खबर वेतन-पेंशन-राहत सब कुछ अब कर्ज के भरोसे

On: July 26, 2025 5:45 PM
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शिमला (फ्रंटपेज न्यूज़)

सुक्खू सरकार फिर ले रही 1000 करोड़ का लोन | कुल कर्ज 1.05 लाख करोड़ के पार

राज्य के वेतन-पेंशन और आपदा राहत के लिए जुलाई में आरबीआई करेगा ऑक्शन, 22 वर्षों में चुकाना होगा यह कर्ज


भारी मानसून आपदा से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अब एक बार फिर कर्ज का सहारा लेने जा रही है। राज्य सरकार के वित्त विभाग ने 1000 करोड़ रुपये के लोन की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसे 22 वर्षों में चुकाया जाएगा। यह लोन 29 जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नीलाम किया जाएगा और 30 जुलाई को राज्य के खजाने में जमा हो जाएगा।

इससे पहले जून 2025 में भी सरकार ने 800 करोड़ रुपये का लोन लिया था। अब तक सरकार 5200 करोड़ रुपये तक का लोन ले चुकी है, जबकि केंद्र सरकार ने हिमाचल को इस वित्त वर्ष में अधिकतम 6200 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की अनुमति दी है।

कर्ज पर कर्ज: आंकड़े चौंकाने वाले

राज्य सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार की ओर से यह अधिसूचना जारी की गई है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज की राशि अब 1,05,200 करोड़ रुपये हो चुकी है।
जब भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सत्ता छोड़ी थी, उस समय राज्य पर करीब 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। यानी 18 महीनों में करीब 35,000 करोड़ का कर्ज बढ़ गया है।


1000 करोड़ रुपये का नया लोन, 22 वर्षों में होगा चुकता

29 जुलाई को RBI करेगा ऑक्शन, 30 जुलाई को राज्य को मिलेगा पैसा

2025 में अब तक 5200 करोड़ का लोन, सीमा 6200 करोड़

हिमाचल प्रदेश पर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल कर्ज

वेतन और पेंशन देनदारी के लिए हर महीने चाहिए 2000 करोड़

3% डीए देने में असमर्थ सरकार, राहत पैकेज की भी चुनौती

कांग्रेस-भाजपा में एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का दौर जारी

क्यों लेना पड़ा लोन?

राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती वेतन और पेंशन की देनदारी है। हर महीने सरकार को 2000 करोड़ रुपये सिर्फ वेतन और पेंशन पर खर्च करने होते हैं। इस समय सरकार के पास इतने संसाधन नहीं हैं, इसलिए कर्ज लेना मजबूरी बन गया है।
इसी के साथ, मानसून में आई आपदा से प्रभावितों के लिए राहत और पुनर्वास पैकेज का प्रावधान करने का दबाव भी है। मुख्यमंत्री सुक्खू की सरकार 3 प्रतिशत डीए (महंगाई भत्ता) की बकाया किश्त जारी करने में भी असमर्थ दिख रही है। कर्मचारियों और पेंशनर्स ने इसकी मांग तेज कर दी है।

सियासत गरमाई, आरोप-प्रत्यारोप तेज

हिमाचल में बढ़ते कर्ज को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार को वित्तीय अराजकता का दोषी ठहराया है, तो वहीं कांग्रेस पिछली भाजपा सरकार पर खर्चीली योजनाओं और कर्ज़ के बोझ को बढ़ाने का आरोप लगा रही है।
सत्तापक्ष का कहना है कि वर्तमान में सरकार प्राकृतिक आपदा से जूझ रही है, और यह आपदा राहत के लिए स्वयं के संसाधनों से पैकेज देने की तैयारी कर रही है।

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