शिमला:- फ्रंटपेज न्यूज़
हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण आर्थिकी, जो परंपरागत रूप से कृषि और बागवानी पर आधारित रही है, अब एक नई दिशा में आगे बढ़ रही है। राज्य सरकार की पहल पर प्राकृतिक खेती को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी मिलने से किसान न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं, बल्कि खेती की लागत भी कम हो रही है। इससे न सिर्फ किसान लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि पूरे ग्रामीण तंत्र को मजबूती मिल रही है।
क्यों MSP जरूरी? हिमाचल ने देश में रखी अनूठी मिसाल
देशभर में MSP की मांग लंबे समय से उठती रही है, लेकिन प्राकृतिक खेती में MSP तय करने का साहसिक कदम हिमाचल ने उठाया। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर गेहूं, मक्का, हल्दी और जौ जैसी फसलों के लिए MSP तय किया गया। मक्का के लिए 40 रुपए प्रति किलो, गेहूं के लिए 60 रुपए, हल्दी के लिए 90 रुपए तथा पांगी घाटी में पैदा होने वाली जौ के लिए 60 रुपए प्रति किलो समर्थन मूल्य रखा गया है।
विशेष बात यह है कि यह MSP भारत में प्राकृतिक खेती को लेकर तय की गई अब तक की सबसे बड़ी दर है। इससे किसान बिना बिचौलियों के सीधे विभाग के माध्यम से अपनी उपज बेच रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं।
खेत की मिट्टी से मंडी तक — किसान बोले, ‘अब सही कीमत मिलती है’
रूपचंद शर्मा (गांव बाग, शिमला ग्रामीण) ने बताया कि उन्होंने 1 क्विंटल 5 किलो हल्दी 90 रुपए किलो के हिसाब से बेची है और इस पैसे से घर के अन्य काम पूरे किए हैं। रूपचंद अन्य किसानों को भी इस ओर प्रेरित कर रहे हैं।
प्रकाश चंद (गांव कदोग, बसंतपुर) ने 4 क्विंटल मक्का बेचकर 12 हजार रुपए कमाए। उन्होंने बताया कि पहले रासायनिक खेती से खेत की उर्वरता भी घट रही थी, अब प्राकृतिक खेती से न केवल पैसे मिल रहे हैं बल्कि जमीन भी बेहतर हो रही है।
तारा कश्यप (गांव विहार, बढ़ई, शिमला ग्रामीण) ने 80 किलो मक्का बेचकर 2400 रुपए कमाए। उनका कहना है कि सरकार ने जो यह योजना चलाई है, उससे छोटे किसानों को भी राहत मिली है।
आँकड़ों में समझिए—MSP योजना का वास्तविक असर
खरीफ 2024-25 के दौरान प्रदेश में 1509 किसानों से 3989 क्विंटल मक्का की खरीद 30 रुपए प्रति किलो की दर से हुई। किसानों के खाते में कुल 1 करोड़ 19 लाख 69 हजार रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए।
रबी 2024-25 में 838 किसानों से 2135 क्विंटल गेहूं की खरीद 60 रुपए किलो के हिसाब से की गई और 1 करोड़ 32 लाख 29 हजार रुपए वितरित किए गए।
हल्दी की बात करें तो इस साल 61 किसानों से 127.2 क्विंटल हल्दी खरीदी गई, जिसके लिए 11 लाख 44 हजार रुपए किसानों के खाते में डाले गए।
चंबा की पांगी घाटी में उगने वाली जौ के लिए भी MSP लागू की गई, जो विशेष रूप से वहां के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।
1 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य, अब तक 48,685 ने करवाया पंजीकरण
राज्य सरकार ने स्पष्ट लक्ष्य रखा है कि 88 विकास खंडों की 3615 पंचायतों से 1 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। वर्तमान में 48,685 किसानों ने पंजीकरण करवा लिया है, जिनमें महिला किसानों की संख्या पुरुषों से अधिक है।
जिला काँगड़ा में सबसे अधिक 12,424 किसानों ने पंजीकरण करवाया है।
इसके बाद ऊना में 5,252, सिरमौर में 5,340 और हमीरपुर में 4,478 किसान प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।
मुख्यमंत्री का उद्देश्य: किसान के हाथ में सीधे पैसा
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना सिर्फ एक पर्यावरणीय या सामाजिक कदम नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधे ताकत देने वाली योजना है। किसानों को बाजार की अस्थिरता से मुक्त करने के लिए MSP की गारंटी देना एक दूरदर्शी नीति है, जो पूरे देश में हिमाचल को उदाहरण बनाती है।




























