नई दिल्ली/शिमला (फ्रंटपेज न्यूज़)
हिमाचल प्रदेश सरकार को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी कानूनी जीत मिली है। राज्य सरकार ने कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना को लेकर जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब अदालत ने राज्य सरकार के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कंपनी को परियोजना से 18 प्रतिशत रॉयल्टी देने का आदेश दिया है।
इस फैसले के बाद हिमाचल प्रदेश को हर साल करीब 150 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रॉयल्टी मिलेगी। साथ ही, प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि इससे 12 वर्ष पूरे कर चुकी अन्य परियोजनाओं पर भी समान रूप से असर पड़ेगा और कुल मिलाकर राज्य को 250 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त वार्षिक आय होने की संभावना है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह निर्णय राज्य के हितों को सुरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा किए गए दृढ़ प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने इस मामले को व्यक्तिगत प्राथमिकता पर लेकर देश के जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, प्राग त्रिपाठी, महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन तथा अतिरिक्त महाधिवक्ता वैभव श्रीवास्तव की टीम के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से रखा।
दरअसल, कड़छम-वांगतू परियोजना 1045 मेगावाट क्षमता वाली जलविद्युत परियोजना है, जो वर्ष 2011 में शुरू हुई थी। राज्य सरकार और कंपनी के बीच 1999 में हुए समझौते के अनुसार, पहले 12 वर्षों तक 12 प्रतिशत और उसके बाद 18 प्रतिशत रॉयल्टी तय की गई थी। लेकिन सितम्बर 2023 से कंपनी ने 18 प्रतिशत रॉयल्टी देने से इनकार कर दिया था, जिसे हिमाचल हाईकोर्ट ने भी मान्यता दे दी थी।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अंततः न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। यह फैसला न केवल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि जनता को उनके प्राकृतिक संसाधनों का वास्तविक लाभ दिलाने में भी सहायक होगा।
सरकारी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि इससे पहले वाइल्ड फ्लावर हॉल केस में भी सरकार ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वर्ष 2002 से लंबित विवाद को सुलझाया था। उस केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के हक में फैसला सुनाया था, जिससे हिमाचल प्रदेश सरकार को उस हेरिटेज प्रॉपर्टी का स्वामित्व वापस मिला है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के संसाधनों पर राज्य के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयासरत है और भविष्य में भी जनता के हितों की रक्षा के लिए ऐसे ही कदम उठाए जाएंगे।




























