शिमला (फ्रंटपेज न्यूज़)
हिमाचल प्रदेश में जमीन की खरीद-फरोख्त अब पहले से कहीं ज्यादा आसान और पारदर्शी हो गई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को नई राजस्व सेवाओं की शुरुआत करते हुए स्पष्ट किया कि अब लोगों को भूमि रजिस्ट्री और म्यूटेशन जैसी प्रक्रियाओं के लिए बार-बार दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
अब नागरिक केवल एक बार तहसील कार्यालय जाएंगे और बाकी की सारी प्रक्रिया वे घर बैठे ऑनलाइन पूरी कर सकेंगे। इसके लिए राज्य में माई डीड एनजीडीआरएस (नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। यह परियोजना पहले चरण में 10 जिलों की एक-एक तहसील में लागू की गई है:
बिलासपुर – बिलासपुर सदर
चम्बा – डलहौजी
हमीरपुर – गलोड़
कांगड़ा – जयसिंहपुर
कुल्लू – भुंतर
मंडी – पधर
शिमला – कुमारसैन
सिरमौर – राजगढ़
सोलन – कंडाघाट
ऊना – बंगाणा
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के इस युग में राजस्व विभाग को पूरी तरह डिजिटल बनाना सरकार की प्राथमिकता है। इसी क्रम में उन्होंने ई-रोजनामचा वाक्याती, कारगुजारी प्रणाली, और नई सरल हिंदी में जमाबंदी प्रारूप का भी शुभारंभ किया।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उर्दू, फारसी व अरबी जैसी पुरानी भाषाओं को जमाबंदी से हटाकर सरल हिंदी में रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं ताकि आम जनता भी अपनी जमीन से जुड़े दस्तावेज आसानी से समझ सके।
ऑनलाइन म्यूटेशन और राजस्व न्यायालय प्रणाली
रजिस्ट्री के कुछ दिनों के भीतर ही म्यूटेशन अब खुद-ब-खुद ऑनलाइन हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) को 15 दिनों के भीतर ऑनलाइन म्यूटेशन मॉड्यूल विकसित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इससे पटवारियों और तहसीलदारों के पास लोगों की भीड़ कम होगी और प्रक्रिया तेज होगी।
साथ ही उन्होंने 10 दिनों के भीतर डिजिटल हस्ताक्षर युक्त जमाबंदी मॉड्यूल तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि ‘फर्द’ यानी भूमि रिकॉर्ड की प्रति के लिए अब पटवारखानों के चक्कर न काटने पड़ें।
राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली को भी 15 दिनों के भीतर पूरी तरह से ऑनलाइन और पेपरलेस बनाने के निर्देश दिए गए हैं। अब लोग घर बैठे याचिकाएं दायर कर सकेंगे और समन तथा अदालती अपडेट डिजिटल माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे।
खान्गी तकसीम और भू-आधार
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से ‘खान्गी तकसीम’ यानी निजी विभाजन को मिशन मोड पर लागू करने के लिए कहा है। इससे संयुक्त खातों को व्यक्तिगत खातों में बदला जाएगा और प्रत्येक परिवार का ‘एक खसरा नंबर, एक मालिक’ होगा।
राज्य में भू-आधार नंबर प्रणाली भी शुरू कर दी गई है, जिसमें हर जमीन का एक यूनिक आईडी नंबर होगा। इसे आधार कार्ड और ‘हिम परिवार’ आईडी से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक:
राज्य के 21,000 गांवों में से 90% गांव के नक्शे भू-नक्शा पोर्टल पर अपलोड हो चुके हैं।
1.44 करोड़ खसरा नंबर में से 1.19 करोड़ खसरा नंबर को यूनिक भू-आधार आईडी दी जा चुकी है।
71% खातों को आधार से जोड़ा जा चुका है, शेष 30% पर कार्य प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे इन पहलों को धरातल पर तेजी से लागू करें। इस साल के अंत तक राज्य में रेवेन्यू कोर्ट केस फाइलिंग, केस मैनेजमेंट और म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि राज्य की नई व्यवस्था पेपरलेस, प्रेजेंसलेस और कैशलैस होगी ताकि आम नागरिकों को सरकार की सेवाएं घर बैठे उपलब्ध हो सकें।




























