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अश्व प्रदर्शनी – लवी मेले की शान, पारंपरिक व्यापार और घोड़ों का उत्सव

On: October 26, 2025 5:00 PM
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रामपुर बुशहर (शिमला): हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले का अभिन्न अंग रही अश्व प्रदर्शनी (हॉर्स शो) इस वर्ष फिर से अपनी पारंपरिक भव्यता के साथ आयोजित की जा रही है। यह ऐतिहासिक मेला 17वीं शताब्दी से बुशहर रियासत और तिब्बती शासकों के बीच हुई व्यापारिक संधि की स्मृति में हर वर्ष मनाया जाता है।

लवी मेला न केवल वस्त्र, ऊन और पारंपरिक हस्तशिल्प के व्यापार का केंद्र रहा है, बल्कि पशुधन व्यापार, विशेषकर घोड़ों की खरीद-फरोख्त, इसकी सबसे बड़ी पहचान है। “लवी” शब्द की उत्पत्ति “लोवी” से मानी जाती है, जिसका अर्थ है “ऊन काटना” — यही कारण है कि ऊन और ऊनी उत्पादों के साथ-साथ घोड़े यहां के मुख्य आकर्षण रहे हैं।

चामुर्थी नस्ल के घोड़े — ठंडे रेगिस्तान के जहाज

तिब्बत पठार से उत्पन्न चामुर्थी नस्ल के घोड़े अपनी मजबूती, सहनशक्ति और ऊंचाई पर चलने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हें “ठंडे रेगिस्तान का जहाज” भी कहा जाता है। इनका मुख्य प्रजनन क्षेत्र लाहौल-स्पीति की पिन घाटी और किन्नौर जिले की भाभा घाटी है।

अश्व प्रदर्शनी: संरक्षण और व्यापार का संगम

हर साल लवी मेले से पहले हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन, शिमला के संयुक्त तत्वावधान में रामपुर बुशहर में अश्व प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य स्थानीय घोड़ों की नस्लों का संरक्षण और व्यापार को बढ़ावा देना है।

मुख्य खरीदार उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले सहित अन्य राज्यों से आते हैं। इस वर्ष जिला प्रशासन ने पड़ोसी राज्यों को भी भाग लेने का आमंत्रण दिया है, जिससे इसे और व्यापक रूप दिया जा सके।

कार्यक्रम की रूपरेखा

1 से 3 नवंबर 2025 तक यह आयोजन रामपुर बुशहर में होगा।

1 नवंबर: घोड़ों का पंजीकरण

2 नवंबर: अश्वपालकों के लिए जागरूकता शिविर एवं किसान गोष्ठी

3 नवंबर: 400 और 800 मीटर घुड़दौड़, गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता और पुरस्कार वितरण समारोह

समापन दिवस पर मुख्य अतिथि द्वारा सर्वश्रेष्ठ घोड़ों का चयन और सम्मान किया जाएगा।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

यह प्रदर्शनी न केवल पारंपरिक घोड़ा व्यापार को सशक्त करती है, बल्कि स्थानीय किसानों और पशुपालकों के लिए आर्थिक अवसर भी उत्पन्न करती है। इससे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के बीच सांस्कृतिक व व्यावसायिक संबंध भी मजबूत होते हैं।

लवी मेले की यह अश्व प्रदर्शनी, परंपरा, पशुपालन और व्यापार का जीवंत उदाहरण है — जो अतीत की गौरवशाली धरोहर को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रही है।

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